सोमवार, 18 अप्रैल 2016

Important things to achive success



मैंने पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी कि पुस्तक पढ़ी| इसे पढ़कर बहुत कुछ सीखने को मिला| सफलता और असफलता दोनों ही मनुष्य के हाथ में होती हैं| हमें जीवन में सफल व्यक्ति बनना है तो हम अपनी आदतों में सुधार करके जीवन में निश्चित ही सफलता प्राप्त कर सकते हैं| उसी पुस्तक से यहाँ कुछ बातें आप-सभी के साथ बाँटना चाहती हूँ जिसका आप सभी भी ध्यान रखें-
जीवन कि सफलता- असफलता पर हमारे व्यवहार कि छोटी- छोटी बातों का भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है| छोटी- छोटी आदतें जैसे- स्वभाव की विकृति, रहन-सहन का गलत ढंग आदि सामान्य- सी बातें होनेपर भी ये मनुष्य की उन्नति, विकास, सफलता के मार्ग में रोड़ा बनकर खड़े हो जाती हैं|
किन्तु इसका सुधार न करके लोग अपनी असफलताओं के और दूसरे कारण बताने लगते हैं और अपने आप को सही मानते हैं|
दूसरों पर पड़ने वाला प्रभाव मनुष्य के व्यक्तित्व को संसार में रास्ता देता है| मनुष्य के व्यवहार, बातचीत, जीवन, तौर-तरीकों एवम व्यवहारिक पह्लुओं के आधार पर ही समाज उसके प्रति अपनी राय निर्धारित करता है, जिसका मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता हैं| समाज में उच्च स्थान और उसका सहयोग पाकर मनुष्य बहुत बड़ी सफलता अर्जित कर सकता है|
कई लोग उत्तेजित स्वभाव के होते हैं| बात-बात पर हर समय व्यवहार में उत्तेजित होने वाले मनुष्य सहज ही दूसरों से लड़ाई-झगड़ा कर लेते हैं| किसी बात पर ऐसे लोग ठन्डे दिमाग से विचार नहीं कर  पाते| इसी तरह कई व्यक्ति मन ही मन किसी सोच-विचार, मानसिक उलझन से परेशान रहते हैं| उनके चेहरे पर द्वंद-बेचैनी के भय झलकते रहते हैं| कई लोगों को आत्मविश्वास का आभाव, हीनता की भावना, घबराहट आदि ही असंतुलित बना देते हैं| इस तरह कि बातें मनुष्य की मानसिक अवस्था की परिचायक हैं जो जीवन के प्रत्येक कलाप में प्रकट होती रहती हैं| इससे प्रभावित होने वाले दूसरे लोगों की अच्छी राय नहीं बनती है| कोई भी समझदार आदमी उत्तेजित, हीनभावना युक्त, अन्तर्द्वन्द में परेशान व्यक्ति को अपने साथ काम में लगाना या रखना पसंद नहीं करता है| ये सभी बातें सामान्य सी लगती हैं किन्तु किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिये ये बहुत बड़ी बाधक हैं|
कई लोग दूसरों के सामने नजर मिलाकर बात करने में झिझकते हैं| कई तो बात-चीत करते हुए कपड़ों के छोर को एंठने लगते हैं, कई तिनका उठाकर जमीन कुरेदने लगते हैं, कई मुँह से नाखून चबाते हैं| इनका प्रभाव दूसरों पर अच्छा नहीं पड़ता| इससे व्यक्ति का खोखलापन, क्षुद्रता जाहिर होती है| बात-चीत का स्तर भी मनुष्य के व्यक्तित्व को दर्शाता है| ज्यादा चुप रहने वाले और ज्यादा बोलने वाले दोनों तरह के लोग अच्छे नहीं समझे जाते| आवश्यकतानुसार ठोस और नपी-तुली बात-चीत करना व्यक्ति का सम्मान बढाती है| बिना सोचे समझे, ऊटपटांग कुछ भी बोल देना| भाषा कि अशुद्धता, अशिष्टता जोर-जोर से बातें करना, बीच में ही किसी को टोक देना, बे-मौके बात करना , अपनी ही अपनी कहते जाना बात-चीत के दोष हैं | बात-चीत में अपने ही विषय, अनुभवों की भरमार रखना , दूसरों को मौका न देना, किसी की बहिन बेटी के सौन्दर्य की चर्चा, पर निंदा आदि से मनुष्य के ओछेपन का अंदाजा कोई भी सहज ही लगा सकता है | बात-चीत के इन दोषों के कारण कोई भी व्यक्ति अपनी अच्छी राय कायम नहीं कर सकता | समाज में ऐसे व्यक्ति को कोई महत्व नही मिलता | इनसे दूसरों पर अच्छा प्रभाव न पड़कर बुरा ही पड़ता है | इससे मनुष्य कि उन्नति व सफलता दूर की बात बनकर रह जाती है | याद रखो हम जैसा दूसरों के बारे में सोचते, बोलते या करते हैं समझदार व्यक्ति इन्ही हाव-भाव से हमारी प्रकृति और हमारी मानसिकता का सहज ही अनुमान लगा लेते हैं|
कई लोग ठीक और सही बात भी बड़ी कर्कशता और रूखेपन के साथ कहते हैं जैसे मानो कि वे लड़ रहे हों| आवाज कि इस कर्कशता को दूर करना भी आवश्यक है| बात-चीत में मधुरता, गंभीरता, स्पष्टता रखने से दूसरों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है| साधारण योग्यता वाले भी अपनी बात-चीत में मधुरता से बड़े-बड़े काम निकल सकते हैं| किन्तु अपने उक्त दोषों को दूर न करने वाले यही शिकायत करते पाये जाते हैं- “ क्या करें हम लोगों से अच्छी बात करते हैं, उनका हित चाहते हैं, फिर भी लोग हमें बुरा समझते हैं, और हमसे दूर रहने का प्रयत्न करते हैं ” इसका कारण दूसरे लोगों का इस तरह का व्यवहार नहीं, अपितु उस मनुष्य की रुखी बात-चीत करना ही है|
कई लोग धर्म, अध्यात्म, समाज, मानवता कि बड़ी-बड़ी बातें करते हैं| बातों में, विचारों में, आकाश कुसुमों को तोड़ने में नहीं चूकते, किन्तु धरती पर काम में आने वाली छोटी-छोटी बातों पर तनिक भी न्याय नहीं देते| फलत: वे न जमीन के रहते हैं न ही आसमान के उनका कोई महत्व कायम नहीं होता | जिनके वस्त्र, अस्त-व्यस्त हों, बाल बिखरे हों, खाने-पीने, बैठने, रहने का कोई ढंग नहीं जिनकी जीवन पद्धति में कोई व्यवस्था क्रम न हो, उल्टा फूहड़-पन, भद्दापन टपकता हो ऐसे व्यक्ति न कोई महत्वपूर्ण कार्यों का सम्पादन कर सकते हैं न किसी क्षेत्र में विशेष सफलता अर्जित कर सकते हैं|
किसी भी तरह के चारित्रिक, व्यवहारिक दोष मनुष्य को असफलता और पतन की ओर प्रेरित कर सकते हैं| महान पंडित, विज्ञानी, बलवान रावण केवल अपने अहंकार और परस्त्री आसक्ति में ही नष्ट हो गया| चरित्र और व्यवहार की साधारण सी भूलें मनुष्य की उन्नति व विकास का रास्ता रोक लेती है|
कई लोग बिना किसी बात के अथवा सामान्य सी घटनाओं में मूंह फुलाकर उदास, मनहूस से देखे जाते हैं, जो वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा, पराजय, भयंकरता को पैदा करते हैं, किन्तु एक और ऐसे भी लोग हैं जो अपनी प्रसन्नता, मुस्कराहट, आशा भरी हंसी से एक सजीव, सुन्दर, उत्कृष्ट वातावरण का निर्माण करते हैं| केवल मनुष्य के दृष्टिकोण और जीवन जीने की इच्छा शक्ति का अंतर है| यह तो ध्रुव सत्य है कि दुःख दर्द उदासी तो सभी के पास आती जाती रहती है| सब उन्हें ही तरजीह देते हैं जो उन्हें हँसी, मुस्कराहट, प्रसन्नता, व सरसता देते हैं|
कुछ लोगों की प्रवृति प्रत्येक बात में दूसरों की आलोचना करना होती है| चाहे कैसा भी वातावरण हो आलोचना किये बिना उन्हें तृप्ति ही नहीं मिलती| हर समय हर बात को आलोचना की कसौटी पर कसना अच्छी बात नहीं, इसमें लोग दूर हटने की कोशिश करते हैं और मनुष्य दूसरों के कई अनुभव महत्वपूर्ण जानकारी, विचार ज्ञान से वंचित रह जाता है| ये छोटी-छोटी बातें मनुष्य की उन्नति में बहुत बड़ी बाधक बन जाती है| इसके सुधार के लिये सदा प्रयत्न करते रहना चाहिए | कई बार असफलताओं का कारण इन छोटी-छोटी बातों की उपेक्षा ही होती है| इस उपेक्षा के कारण काम की व्यवस्था पर तथा कार्य से सम्बन्धित अन्य व्यक्तियों पर जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, उसी के परिणामस्वरूप असफलता सामने आती है| यह तथ्य न समझने वाले लोग अपने प्रयासों के बाबजूद विफल रह जाने का कारण भाग्य, देवी-देवता आदि को या दूसरे द्वरा उत्पन्न की गयी ज्ञात- अज्ञात बाधाओं आदि को मान लेते हैं| उन्हें लगता है कि सदा ऊँचे विचार और अच्छे इरादे रखने पर भी हमें सफलता नहीं मिली तो इसका कारण किसी रहस्यमय सत्ता का विधि-विधान ही है|
दूसरी ओर अपनी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने वाले जागरूक, तत्पर एवम रचनात्मक दृष्टिकोण वाले मनुष्य असफलताओं के बीच भी सफलता के नये मार्ग ढूंढ निकालते हैं|
      

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