शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

Our universe is so old era


जब किसी  बच्चे से पूंछे  कि आपको गिनती पहाड़े और अ आ इ ई. .. किसने सिखाए तो बच्चे तुरंत उत्तर देते हैं कि हमारे माता-पिता, दादा, दादी और गुरु ने। अब बच्चों  से प्रश्न करो की आपके माता-पिता, दादा, दादी और गुरु ने यह ज्ञान कहाँ से प्राप्त किया तो आपको तुरन्त  उत्तर मिलेगा कि उनके माता-पिता, दादा, दादी और गुरु से, और उनको कहाँ से मिला तब अंत में उत्तर मिलेगा कि परमात्मा से। अब यहाँ ये प्रश्न उठता है कि कौन सा ज्ञान दिया परमात्मा ने ?
यह वेद का ज्ञान था जिसे सृष्टि की आदि में परमेश्वर ने दिया था। सृष्टि की आदि का अर्थ है कि जब परमात्मा ने जीवों को बनाया था। ईश्वर ने युवा अवस्था में महिला और पुरुषों को बनाया था और अन्य प्रकार के सभी जीव-जन्तुओं व पेड़-पौधों इत्यादि को बनाया था।
परमात्मा ने आज से 1960853116 (१९६०८५३११६) वर्ष पूर्व वेदों का ज्ञान दिया था। सृष्टि की आदि में युवा अवस्था में महिला व पुरुष बनाये थे उनमें (4) ४ ऋषि सर्वश्रेष्ठ पवित्र आत्मा थे। इन चार ऋषियों के नाम अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा थे। अग्नि ऋषि को ऋग्वेद का ज्ञान, वायु ऋषि को यजुर्वेद का ज्ञान, अंगिरा ऋषि को सामवेद व आदित्य को अथर्वेद का ज्ञान परमात्मा ने दिया था।
वेदों में अनन्त ज्ञान का भंडार है। वेदों में जो विद्याएं हैं वे सूक्ष्म रूप में हैं। स्वामी कृष्णदेव तीर्थ भारती ने वेदों में से वेद गणित खोज निकला उन्होंने वैदिक गणित के सोलह सूत्र बनाए उन्हीं के आधार पर आज वही वैदिक गणित कई देशों में पढ़ाया जा रहा है।
वेदों के ज्ञान के बारे में हमारे ऋषि-मुनियों ने सृष्टि को चार युगों में बांटा है।
सतयुग, त्रेता, द्वापर, और कलियुग।
इनकी आयु इस प्रकार है।
सतयुग - 1728000 (१७२८०००) चारगुना
त्रेता  - 1296000 (१२९६०००) तीनगुना
द्वापर -  86400 (८६४००) दूना कलियुग से
कलियुग - 432000 (४३२०००)
चारों युगों को मिलाकर एक चतुर्युग = 4320000 (४३२००००) बनता है। सृष्टि की आयु चार अरब उन्तीस करोड़ चालीस लाख अस्सी हजार वर्ष है।
71 (७१) चतुर्युग बीत जाने पर 1 मन्वन्तर होता है ऐसे- ऐसे सृष्टि में 14 (१४) मन्वन्तर होते हैं।
1 मन्वन्तर= 432000 ˣ 71=306720000 (तीस करोड़ सरसठ लाख बीस हजार) वर्ष हुए।
14 मन्वन्तर= 14 ˣ 306720000 = 429480000 (चार अरब उन्तीस करोड़ चालीस लाख अस्सी हजार) वर्ष सृष्टि की आयु है। सृष्टि से अब तक 6 मन्वन्तर=6 ˣ 306720000=1840320000 वर्ष बीत चुके हैं। 7 वाँ मन्वन्तर चल रहा है इसमें 28 वाँ कलियुग चल रहा है अर्थार्थ  27 बार सतयुग, त्रेता, द्वापर, और कलियुग बीत चुके हैं। = 432000 ˣ 27 = 11664000  एक करोड़ सोलह लाख चौसठ हजार वर्ष
अब इसमें सतयुग, त्रेता, द्वापर,27 बार जुड़े हैं जबकि ये 28 बार बीत चुकेहैं इनकी आयु 3888000 (अड़तीस लाख अठासी हजार) वर्ष  और जोड़ दें और कलियुग 28 वाँ 5116 वर्ष बीत चुके हैं।

1840320000 + 116640000+3888000+5116= 1960853116
कहने का अर्थ यह है कि 27 बार कलियुग इस मन्वन्तर में आ चुका है। अब २८ वीं बार कलियुग आया है।
1 मन्वन्तर में 71 चतुर्युगी होते हैं। कहने का अर्थ यह है कि चारों युग सतयुग, त्रेता, द्वापर, और कलियुग 71 बार आते रहते हैं। जैसे - रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार महीने में 4-5 बार आ जाते हैं। इसी प्रकार ये चारों युग भी बार-बार आते रहते हैं। सृष्टि का स्वभाव प्रत्येक मन्वन्तर में बदल जाता है इसलिए इसका नाम मन्वन्तर रखा है  देखो हमारे ऋषि-मुनियों की गणना कितनी पुरानी और जटिल है। 
प्यारे भाइयो और बहिनों 1960853116 वर्ष सृष्टि कि आयु में बीत चुके हैं इतने ही वर्ष पूर्व परमात्मा ने वेद का ज्ञान दिया था।  चैत्र अमावस्या के बाद प्रतिपदा पड़वा( 8 अप्रैल  2016) को नया सृष्टि संवत  1960853117 (एक अरब छियानबे करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ सत्तरह ) वाँ वर्ष शुरू हो गया है। वेदों में गणित  विद्या, तार विद्या, भूगोल विज्ञान, विमान आदि विद्या, सृष्टि विद्या,  वैधक  विद्या (आयुर्वेद) संगीत विद्यायें हैं। ऋषि-मुनियों ने इन विद्याओं विस्तार करके हमारा मार्ग दर्शन किया हम सभी का कर्तव्य है कि वेदों का पुनः पठन-पाठन हो जिससे भारत विश्व का पुनः गुरु बन सके। विदेशों में भारतीय ग्रंथों पर अनुसंधान चल रहा है। अतः हमें भी इस पर गंभीर चिंतन करना होगा।
                                                                                                                 
                                                                                                             -U.C. Verma Arya


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